सपनों की चोरी

सपनों की चोरी

एक छोटे से गाँव में, राजू नाम का एक लड़का रहता था। उसके सपने बड़े थे, लेकिन उसकी गरीबी ने उन्हें कैद कर रखा था। हर रात वह छत पर लेटकर तारे गिनता और अपने सपनों को उड़ते हुए देखता।

राजू की माँ बीमार थी, और पिता मेहनत-मज़दूरी करते थे। एक दिन, शहर से एक अमीर आदमी गाँव में आया। उसने राजू के सपनों को सुना और कहा, "तेरे सपने पूरे करूँगा।"

राजू की आँखों में चमक आई। वह आदमी राजू को शहर ले गया। वहाँ उसने राजू से बहुत काम करवाया, लेकिन वादा नहीं निभाया।

राजू थक गया, लेकिन सपने अभी भी ज़िंदा थे। वह हर रात छत पर लेटकर तारे गिनता, अब और भी अधिक दर्द के साथ। एक दिन, उसकी माँ की मौत की खबर आई।

राजू टूट गया। सपनों की चोरी ने उसकी जिंदगी को और अधिक अंधेरा बना दिया। लेकिन उसके दिल में उम्मीद की एक छोटी सी लौ अभी भी जल रही थी। उसने तय किया, वह वापस गाँव जाएगा और अपने सपनों को खुद पूरा करेगा।

राजू गाँव लौट आया, अब वह और भी मेहनत से काम करता। धीरे-धीरे उसने अपनी माँ की यादों के साथ अपने सपनों को सच कर दिखाया। उसकी आँखों में अब भी चमक थी, लेकिन यह चमक संघर्ष और उम्मीद की थी।

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