एक छोटे से गाँव में एक प्राचीन हवेली थी जिसे लोग "न्यू भूतों की हवेली" कहते थे। हवेली बहुत पुरानी थी और लोगों का मानना था कि वहां आत्माएं बसती हैं। किसी ने भी उस हवेली में रात बिताने की हिम्मत नहीं की, क्योंकि कहा जाता था कि वहां से कोई वापस नहीं आता।
एक दिन, गाँव के दो युवा, राहुल और समीर, ने तय किया कि वे इस हवेली की सच्चाई का पता लगाएंगे। वे दोनों बहुत साहसी थे और भूत-प्रेत पर विश्वास नहीं करते थे। एक रात, वे दोनों उस हवेली में जाने की योजना बनाकर चल दिए। हवेली के पास पहुँचते ही, हवा में ठंडक बढ़ गई और अजीब-सी आवाजें आने लगीं। दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा और आगे बढ़ गए।
हवेली के अंदर प्रवेश करते ही, एक भयानक ठंड ने उनका स्वागत किया। अंदर हर तरफ धूल और मकड़ियों के जाले थे। हवेली में प्रवेश करते ही, दरवाजे अपने आप बंद हो गए। राहुल और समीर ने इसे हवा का झोंका समझकर अनदेखा कर दिया और आगे बढ़े। हवेली की दीवारों पर पुरानी पेंटिंग्स थीं जिनमें भयावह चेहरे बने हुए थे। वे दोनों एक बड़े हॉल में पहुँचे जहाँ एक बड़ा डाइनिंग टेबल रखा हुआ था। टेबल पर अभी भी खाने के बर्तन रखे हुए थे, जैसे किसी ने अभी-अभी खाना खाया हो।
अचानक, टेबल पर रखी एक प्लेट खुद-ब-खुद उठी और हवा में घूमने लगी। दोनों के होश उड़ गए, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे को संभाला और सोचने लगे कि ये उनका भ्रम है। तभी, हवेली के एक कोने से एक आवाज आई, जैसे कोई रो रहा हो। वे दोनों उस आवाज का पीछा करते हुए एक अंधेरे कमरे में पहुँचे। कमरे के कोने में एक बूढ़ी औरत बैठी थी, जिसकी आँखों से खून के आँसू बह रहे थे। उसके शरीर पर सफेद साड़ी थी जो जगह-जगह से फटी हुई थी।
औरत ने धीमी आवाज में कहा, "भागो यहां से, नहीं तो तुम भी मुझ जैसी बन जाओगे।" राहुल और समीर ने डरते-डरते पूछा, "आप कौन हैं और यहां क्या हो रहा है?" बूढ़ी औरत ने अपनी कहानी सुनानी शुरू की। उसने बताया कि वह इसी हवेली की मालिकिन थी। कई साल पहले, कुछ डाकुओं ने इस हवेली पर हमला किया था और सबको मार दिया। उसकी आत्मा अब भी इस हवेली में भटक रही है और वह चाहती है कि कोई उसे मुक्ति दिलाए।
इतना सुनते ही, हवेली के चारों ओर की दीवारें अचानक हिलने लगीं और छत से खून टपकने लगा। राहुल और समीर ने भागने की कोशिश की, लेकिन दरवाजे बंद हो चुके थे। वे दोनों समझ गए कि अब उनकी जान बचना मुश्किल है। तभी, बूढ़ी औरत ने कहा, "अगर तुम मेरी मदद करोगे, तो मैं तुम्हें बचा सकती हूं।" राहुल और समीर ने हामी भर दी।
बूढ़ी औरत ने उन्हें एक खास मंत्र बताया और कहा कि उसे पढ़ते हुए उस हवेली के मुख्य दरवाजे तक पहुँचो। राहुल और समीर ने वैसा ही किया। वे मंत्र पढ़ते हुए दौड़ते-दौड़ते मुख्य दरवाजे तक पहुंचे। जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला, एक तेज रोशनी आई और बूढ़ी औरत की आत्मा मुक्त हो गई।
राहुल और समीर ने बाहर निकलते ही चैन की सांस ली। उन्होंने उस दिन के बाद कभी उस हवेली की ओर मुड़कर भी नहीं देखा। गाँव वालों को जब इस घटना का पता चला, तो उन्होंने भी हवेली से दूरी बना ली। न्यू भूतों की हवेली अब भी वहाँ खड़ी है, लेकिन वहां कोई जाने की हिम्मत नहीं करता।
इस तरह, हवेली में भटकती आत्माओं को मुक्ति मिली, लेकिन वह जगह आज भी डरावनी कहानियों की जन्मस्थली बनी हुई है।
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